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Microplastic in salt: नमक और चीनी में है कैंसर,शोध ने किया बड़ा खुलासा

Microplastic in salt

Microplastic in salt and sugar

Microplastic in salt: भारतीय नमक और चीनी में पाया गया प्लास्टिक।

हाल ही में हुए एक शोध ने चौंकाने वाली जानकारी दी है कि भारत में उपलब्ध सभी नमक और चीनी के ब्रांडों में माइक्रोप्लास्टिक के कण पाए गए हैं। इस शोध के अनुसार, चाहे वह समुद्री नमक हो, रिफाइंड चीनी, या कोई और प्रकार की चीनी, सभी में माइक्रोप्लास्टिक के कण मौजूद हैं। यह जानकारी न केवल हमारी सेहत के लिए खतरनाक है बल्कि इससे जुड़ी पर्यावरणीय चिंताओं को भी उजागर करती है।

माइक्रोप्लास्टिक क्या है?

माइक्रोप्लास्टिक बहुत छोटे प्लास्टिक के कण होते हैं, जो 5 मिलीमीटर से भी कम आकार के होते हैं। ये कण प्लास्टिक के बड़े टुकड़ों के टूटने से बनते हैं और कई तरह के उत्पादों में पाए जाते हैं, जैसे कि सौंदर्य प्रसाधन, कपड़े, और यहां तक कि समुद्र में बहाए जाने वाले प्लास्टिक कचरे में भी। ये कण हमारे खाद्य पदार्थों में मिलकर हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

Microplastic in salt: नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक

शोध के अनुसार, भारतीय बाजार में उपलब्ध सभी प्रकार के नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक के कण पाए गए हैं। इसका मतलब है कि जब हम भोजन में नमक या चीनी का सेवन करते हैं, तो साथ ही साथ हम माइक्रोप्लास्टिक के कण भी निगल रहे हैं। यह समस्या न केवल शहरी इलाकों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी देखी जा रही है।

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हमारे स्वास्थ्य पर असर

माइक्रोप्लास्टिक के कण शरीर के भीतर जाकर विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। हालाँकि, इन कणों का शरीर पर दीर्घकालिक प्रभाव अभी पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जैसे कि हार्मोनल असंतुलन, कैंसर, और प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी समस्याएं।

पर्यावरणीय चिंताएँ

माइक्रोप्लास्टिक न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। ये कण समुद्र, नदी, और अन्य जल स्रोतों में मिलकर पानी को प्रदूषित कर देते हैं। इसके अलावा, ये कण समुद्री जीवों द्वारा निगल लिए जाते हैं, जिससे वे भी प्रभावित होते हैं। यह समस्या न केवल जल जीवों के लिए बल्कि पूरी खाद्य श्रृंखला के लिए खतरनाक है, क्योंकि अंततः ये कण हमारे खाने में भी शामिल हो जाते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक का हमारे खाद्य पदार्थों में पाया जाना एक गंभीर समस्या है। यह न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए, इस समस्या से निपटने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है। अगर हम अभी नहीं चेते, तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

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