Dhruv rathee vs dabur court case; डाबर द्वारा लगाए गए ध्रुव राठी पर केस का अंत।
यूट्यूबर ध्रुव राठी और डाबर के बीच चल रहा कानूनी विवाद अब कोर्ट द्वारा समाप्त कर दिया गया है। ध्रुव राठी ने अपने विवादित वीडियो में डाबर के रियल फ्रूट जूस जैसी दिखने वाली पैकेजिंग को ब्लर या जेनरिक फलों के जूस की पैकेजिंग से बदलने का निर्णय लिया है, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले को निपटा दिया। जानते हैं इस पूरे विवाद की कहानी
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विवाद की शुरुआत!
ध्रुव राठी ने 14 जनवरी 2023 को अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें उन्होंने पैक्ड जूस के नुकसान पर चर्चा की। वीडियो में रियल जूस के पैकेट्स की तस्वीरें भी दिखाई गईं, हालांकि, ध्रुव ने डाबर का नाम नहीं लिया था। इसके बावजूद, डाबर ने आरोप लगाया कि इस वीडियो से उनकी ब्रैंड वैल्यू को नुकसान पहुंचा है और उन्होंने ध्रुव राठी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की।
डाबर की आपत्ति और कोर्ट का आदेश
डाबर ने दावा किया कि ध्रुव राठी ने अपने वीडियो में गलत तथ्यों का इस्तेमाल किया है और उनके प्रोडक्ट को नकारात्मक रूप से पेश किया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 15 मार्च 2023 को ध्रुव राठी को आदेश दिया कि वे वीडियो में से आपत्तिजनक हिस्सों को हटा दें। कोर्ट ने पाया कि ध्रुव ने ट्रेडमार्क और कॉपीराइट कानून का उल्लंघन किया था।
ध्रुव राठी की प्रतिक्रिया
ध्रुव राठी के वकील नकुल गांधी ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने वीडियो को प्राइवेट कर दिया था ताकि कोई भी यूजर उस वीडियो को दोबारा अपलोड न कर सके।
उन्होंने कहा:
मेरे क्लाइंट ने वीडियो प्राइवेट कर दिया था ताकि अगर कोई यूजर उसे डाउनलोड करके दोबारा अपलोड करे तो हमें नोटिफिकेशन मिल सके और हम उसे डिलीट कर सकें।
समझौते की प्रक्रिया
8 जून 2024 को, कोर्ट में सुनवाई के दौरान ध्रुव राठी ने प्रस्ताव दिया कि वे वीडियो में रियल जूस की पैकेजिंग को जेनरिक पैकेजिंग से बदल देंगे। डाबर ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। ध्रुव राठी की कानूनी टीम ने 12 जून 2024 को संशोधित वीडियो डाबर को भेजा, जिसमें रियल जूस की जगह जेनरिक जूस की पैकेजिंग दिखाई गई थी।
अंतिम निर्णय
कोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्ण राव ने डाबर और ध्रुव राठी के बीच समझौते को स्वीकार करते हुए 18 जून को मामले का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने ध्रुव राठी के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को मान्यता दी, लेकिन उन्हें निष्पक्षता बनाए रखने की सलाह दी। कोर्ट ने कहा “ध्रुव राठी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन उन्हें निष्पक्ष तरीके से टिप्पणी करनी चाहिए और कंपनी के प्रोडक्ट को ब्लर करके दिखाना चाहिए।”