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Dhruv rathee: ध्रुव राठी ने बताई बेरोजगारी की सच्चाई: ज्यादा जनसंख्या से रोजगार पर क्यों नहीं पड़ता प्रभाव।

Dhruv rathee

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Dhruv rathee: ध्रुव राठी ने बताई भारत में बेरोजगारी की सच्चाई,बताया बेरोजगारी का सॉल्यूशन।

ध्रुव राठी ने हाल ही में अपने एक वीडियो में बेरोजगारी के मुद्दे पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे पॉपुलेशन और बेरोजगारी के बीच संबंध को अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

ध्रुव ने समझाया जनसंख्या और रोजगार का संबंध

ध्रुव ने अपने तर्क की शुरुआत इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 के डेटा से की, जिसमें कहा गया कि 2030 तक भारत को हर साल 78.5 लाख नई नौकरियां क्रिएट करने की जरूरत है। इसे अगर हर दिन के हिसाब से देखें तो यह आंकड़ा हर दिन 21,507 नौकरियों का होता है। ध्रुव ने बताया कि यह संख्या बड़ी जरूर है, लेकिन असंभव नहीं है।

सरकार की जिम्मेदारी

ध्रुव ने कहा कि यह सरकार का काम होता है कि वह ऐसी नीतियां बनाए जिससे रोजगार का माहौल बन सके। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी हर दिन अपने हाथों से 21,507 नौकरियां दें, बल्कि सरकार को ऐसा एनवायरमेंट तैयार करना चाहिए जहां रोजगार उत्पन्न हो सकें।

डिमांड और सप्लाई

ज्यादा जनसंख्या का मतलब है ज्यादा डिमांड। ज्यादा डिमांड से ज्यादा पुलिस ऑफिसर्स, डॉक्टर, इंजीनियर्स, और टीचर्स की जरूरत होगी। हर क्षेत्र में ज्यादा लोगों की जरूरत होगी।- **पॉलिसी

पॉलिसीज

ध्रुव ने कहा कि सरकार को ऐसी पॉलिसीज बनानी चाहिए जो ओलिगोपॉली को खत्म करें, इकॉनमी को ज्यादा डिसेंट्रलाइज्ड करें, और छोटे बिजनेसेस पर कंप्लायंस का ओवर बर्डन ना डालें। स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग और इंटर्नशिप्स का माहौल होना चाहिए और एसएमई को आसानी से क्रेडिट मिलना चाहिए।

असली समस्या

ध्रुव ने बताया कि असली समस्या यह है कि कई सेक्टर्स में कुछ चंद कंपनियों की ओलिगोपॉली बन गई है और कंसंट्रेशन ऑफ वेल्थ कुछ चंद लोगों के हाथ में है। अगर सरकार अपने अरबपति मित्रों की जगह जनता

ध्रुव राठी ने अपने वीडियो में स्पष्ट किया कि पॉपुलेशन और बेरोजगारी के बीच का संबंध गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ज्यादा जनसंख्या का मतलब ज्यादा डिमांड होता है, और अगर सरकार सही नीतियां अपनाए तो रोजगार का सृजन आसानी से किया जा सकता है।

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